जीएसटी के बाद अब सरकार प्रत्यक्ष कर में बड़ा सुधार करने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार ने पांच दशक पुराने प्रत्यक्ष कर कानून के स्थान पर नया कानून बनाने के उद्देश्य से कार्यबल गठित किया है। इसे छह महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। माना जा रहा है कि आयकर से जुड़े नियमों को आसान बनाने और देश की आर्थिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य (विधेयक) अरबिंद मोदी कार्यबल के संयोजक बनाए गए हैं। स्टेट बैंक के गैर कार्यकारी निदेशक एवं चाटर्ड अकांउटेंट गिरीश अहूजा ई-एंड वाई के अध्यक्ष एवं क्षेत्रीय प्रबंध भागीदार राजीव मेमानी, अहमदाबाद के कर वकील मुकेश पटेल, आईसीआरआईईआर नई दिल्ली की सलाहकार मानसी केडिया और भारतीय राजस्व सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एवं वकील जीसी श्रीवास्तव सदस्य बनाए गए हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमिणयन कार्य बल के स्थायी विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।
आयकर के नियम आसान होंगे
बजट से पहले इस कदम से सरकार ने संकेत दिया था कि वह आयकर से जुड़े नियमों को आसान बनाना चाहती है। इससे सरकार निवेशकों को संदेश देना चाहती है कि आयकर के मोर्चे पर भी अब उनके लिए भारत में कारोबार करना आसान होगा। बीते 1 और 2 सितंबर को हुए राजस्व ज्ञान संगम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयकर कानून 1961 को वर्तमान आर्थिक जरूरतों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता बताई थी और उसी के अनुरूप यह कार्यबल गठित किया गया है।
पिछली सरकार का प्रस्ताव
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जटिल आयकर नियमों की जगह लेने के लिए प्रत्यक्ष कर संहिता का प्रस्ताव तैयार किया था। इसमें कर दर को कम रखने और कर छूट खत्म करने की बात कही गई थी। अरविंद मोदी ने प्रत्यक्ष कर संहिता तैयार करने में पूर्व वित्त मंत्री की मदद की थी। हालांकि तत्कालीन सरकार उस बिल को पारित नहीं कर पाई थी।
कर छूट खत्म करने को कहा था
यूपीए सरकार के समय संसद में रखे प्रत्यक्ष कर संहिता में आयकर छूट की सालाना सीमा 2 लाख रुपये रखने, 2 से 5 लाख रुपये आय पर 10 फीसदी टैक्स, 5 से 10 लाख आय पर 20 फीसदी और 10 लाख से अधिक आय पर 30 फीसदी कर लगाने का प्रस्ताव किया गया था। इसके अलावा घरेलू कंपनियों को व्यवसायिक आय पर 30 फीसदी कर लगाने का प्रस्ताव किया गया था।
भारत में आयकर
1961 के आयकर अधिनियम तहत भारत में नागरिकों की आमदनी पर कर लगाया जाता है।
298 धाराएं और 24 अनुसूचियां हैं आयकर अधिनियम में
1964 में 1 जनवरी को केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भारत के विभिन्न प्रत्यक्ष कर तय करने का अधिकार दिया गया।
फिलहाल आयकर की दरें
2.50 लाख तक सालाना आमदनी पर कोई कर नहीं लिया जाता।
5 लाख तक आय पर 10 फीसदी कर
10 लाख तक आय पर 20 फीसदी कर
10 लाख से ज्यादा आय पर 30 फीसदी कर है।
कर का दायरा
3.70 करोड़ लोगों ने 2014-15 में आयकर रिटर्न दाखिल किया
3.65 करोड़ लोगों ने 2014-15 में आयकर रिटर्न दाखिल किया
24.4 लाख कर दाताओं की आय सालाना 10 लाख से ज्यादा थी
16.7 फीसदी था योगदान कर से राजस्व में देश के जीडीपी में
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